Mar 27 2024, 19:03
दरभंगा में गेमचेंजर की भूमिका में हैं ब्राह्मण-मुस्लिम
बिहार का दरभंगा एकमात्र लोकसभा सीट है, जहां 9 बार ब्राह्मण प्रत्याशी सांसद बने हुए हैं। इस सीट पर ब्राह्मण और मुस्लिम का ही वर्चस्व है। यही किसी का खेल बनाते हैं तो बिगाड़ते भी हैं।
दरभंगा को ब्राह्मण जाति का गढ़ कहा जाता है। इस बार भी यहां से गोपाल जी ठाकुर को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर शुरुआती दौर से ही ब्राह्मण और मुस्लिम जाति का वर्चस्व रहा है। 1952 से लेकर1980 तक इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार लगातार जीत दर्ज करते रहे। सिर्फ 1977 में कांग्रेस की हार हुई थी।
पहली बार दरभंगा में 1999 में कमल खिला था। हालांकि, 2004 में हार हुई। इसके बाद लगातार भाजपा जीत दर्ज कर रही है। फरवरी 1961 से अक्टूबर 1963 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे विवेकानंद झा भी दरभंगा से सांसद रहे हैं।
भाजपा से गोपाल जी ठाकुर फिर बन सकते हैं सांसद
दरभंगा लोकसभा के इतिहास में सबसे अधिक वोट से जीतने वाले सांसद भाजपा के गोपाल जी ठाकुर हैं। 2019 में सबसे ज्यादा मतों से इनकी जीत हुई थी। वहीं, दूसरे नंबर पर अब्दुल बारी सिद्धिकी रहे थे। भाजपा की ओर से इस बार भी गोपाल जी ठाकुर को प्रत्याशी बनाया गया है। वे दरभंगा के बेनीपुर विधानसभा से 2010 में भाजपा कोटे से विधायक रह चुके हैं।
AIMIM भी उतार रही कैंडिडेट
वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन में यह सीट राजद के कोटे में जाना निश्चित है। संभावित उम्मीदवारों में पहला नाम ललित यादव। वे दरभंगा ग्रामीण से विधायक हैं और महागठबंधन की सरकार में मंत्री थे। जबकि, दूसरा नाम राजद के जिला अध्यक्ष उदय शंकर यादव का है। उदय शंकर एमएलसी का चुनाव लड़ चुके हैं। उनकी भी उम्मीदवारी को लेकर चर्चा तेज है। दरभंगा में AIMIM ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। बिहार में 11 सीटों पर AIMIM प्रत्याशी उतार रही है। इसमें दरभंगा भी शामिल है। यहां ब्राह्मण के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। अगर AIMIM अपना उम्मीदवार उतारती है तो मुस्लिम वोट में बिखराव हो सकता है।
जातीय समीकरण को समझिए
इस लोकसभा के राजनीतिक समीकरण को अगर समझे तो यहां सबसे अधिक वोट ब्राह्मण का करीब साढ़े चार लाख है। वहीं, दूसरे नंबर पर मुस्लिम करीब साढ़े तीन लाख है। वहीं, मल्लाह वोटर करीब दो लाख के पास है। वहीं, एससी और एसटी वोटरों की संख्या ढाई लाख से कुछ ज्यादा है। यादव वोटरों की संख्या एक लाख 60 हजार के आसपास हैं।
मछली, मखाना और पग है मीथिला की पहचान
दरभंगा के इतिहास में यहां के महाराज का भी अहम योगदान रहा है। दरभंगा से लेकर पूरे प्रदेश में उन्होंने शिक्षा से लेकर कई जनकल्याण के कार्य किए थे। कई कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, तिरहुत रेलवे, अशोक पेपर मिल की स्थापना कराई थी। एक समय मिथिलांचल का यह क्षेत्र तंत्र साधना के लिए भी विख्यात था। इस तंत्र साधना का प्रतीक है प्रख्यात एवं प्रसिद्ध श्यामा माई मंदिर। पान, मखाना, मछली और आतिथ्य सत्कार के लिए दुनिया में विख्यात है दरभंगा। यहीं से मखाना देश और दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा जाता है।
कीर्ति आजाद ने भाजपा को दिलाई थी एंट्री
भाजपा को दरभंगा में एंट्री दिलाने वाले कीर्ति आजाद रहे हैं। पहली बार 1999 में उन्होंने ही बीजेपी का खाता खुलवाया था। इसके बाद 2004 में हार हुई थी। लेकिन, फिर 2009 और 2014 में उन्होंने जीत हासिल की। 2019 में कृति आजाद ने बगावती तेवर अपना लिए थे। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से विवाद होने के बाद भाजपा ने गोपाल जी ठाकुर को कृति आजाद की जगह चुनावी मैदान में उतारा था। यहां दरभंगा के इतिहास में सबसे ज्यादा वोटों से गोपाल जी की जीत हुई ।
1984 में हार के बाद दोबारा नहीं आ सकी कांग्रेस
1952 से लेकर 1962 तक हुए तीन आम चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर श्रीनारायण दास चुनाव चुनाव जीते। इसके बाद 1967 के चुनाव में कांग्रेस की ओर से सत्यनारायण सिन्हा उम्मीदवार बनाए गए। वो चुनाव जीते भी। साथ ही इससे पहले दरभंगा से उमीदवार रहे श्रीनारायण को जयनगर मधुबनी की सीट से उम्मीदवार बनाया गया। वो यहां से चुनाव लड़े और अपने प्रतिद्वंदी सीपीआई के भोगेंद्र झा से हार गए। 1977 में कांग्रेस ने दरभंगा लोग सभा की सीट को गंवा दिया। इसके बाद 1980 में हरी नाथ मिश्रा की जीत के बाद कांग्रेस (आई) वापस आई। लेकिन, 1984 में हार के बाद अब तक कांग्रेस दरभंगा से जीत नहीं पाई है।
दरभंगा लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र
दरभंगा संसदीय क्षेत्र के 6 विधानसभा है। दरभंगा संसदीय क्षेत्र में गौड़ाबीराम, बेनीपुर, अलीनगर, ग्रामीण, दरभंगा (शहर) एवं बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र आता है। 5 विधानसभा एनडीए के पास है। इसमें से चार बीजेपी कोटे से, वहीं 1 जेडीयू कोटे के विधायक हैं। एक दरभंगा ग्रामीण राजद के पास है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 16 लाख 44 हजार 671 वोटर थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में 17 लाख 74 हजार 656 मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पुरुष मतदाताओं की संख्या 870601 थी। वहीं, महिला मतदाताओं की संख्या 774045 थी। जबकि, थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 25 थी। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में 933122 पुरुष, 841499 महिला एवं 35 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।
दरभंगा का वैभवशाली इतिहास रहा है
बिहार की सांस्कृतिक राजधानी कही जाने वाली दरभंगा अपने समृद्ध एवं वैभवशाली इतिहास के साथ अपना अलग पहचान रखती है। यह क्षेत्र 16वीं सदी में दरभंगा राज की राजधानी थी। रामायण की महत्वपूर्ण घटनाओं का केंद्र माना जाता है। यहां देवी सीता के पिता जनक का राज था। बाद में मगध, शुंग, कण्व और गुप्त, मुसलमान शासक ने राज किया। इस क्षेत्र में ही कुमारिल भट्ट, मंडन मिश्र, गदाधर पंडित, शंकर, वाचास्पति मिश्र, विद्यापति, नागार्जुन जैसे महान विद्वानों ने अपना लेखनस्थली बनाया।
दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
Mar 28 2024, 16:07